1. इंजन और गियरबॉक्स की स्थिति का निरीक्षण
इंजन की आवाज़ को ध्यान से सुनें
सेकंड हैंड कार खरीदते समय टेस्ट ड्राइव के दौरान सबसे पहले इंजन की आवाज़ पर फोकस करें। अगर इंजन स्मूद चल रहा है और उसमें कोई अजीब या तेज़ आवाज़ नहीं आ रही है, तो यह अच्छी बात है। लेकिन अगर आपको खड़खड़ाहट, टैपिंग या किसी भी तरह की असामान्य आवाज़ सुनाई देती है, तो यह इंजन में किसी समस्या का संकेत हो सकता है।
स्मूद स्टार्टिंग पर ध्यान दें
गाड़ी स्टार्ट करते समय देखिए कि क्या इंजन आसानी से चालू हो जाता है या उसे बार-बार कोशिश करनी पड़ती है। अच्छी स्थिति वाली कार आम तौर पर एक ही बार में स्टार्ट हो जाती है, जबकि कमजोर बैटरी या खराब इंजिन वाली कार को स्टार्ट करने में दिक्कत आ सकती है।
गियरबॉक्स का निरीक्षण करें
टेस्ट ड्राइव के दौरान सभी गियर बदलकर देखें। हर गियर स्मूदली बदलना चाहिए, बिना झटका दिए या किसी अजीब आवाज़ के। अगर गियर बदलने में कोई रूकावट आती है या गियर शिफ्ट करते वक्त घिसने जैसी आवाज़ आती है, तो यह गियरबॉक्स की समस्या हो सकती है। नीचे दी गई टेबल में कुछ सामान्य संकेत दिए गए हैं जिनपर आपको ध्यान देना चाहिए:
चीज़ | सामान्य स्थिति | समस्या का संकेत |
---|---|---|
इंजन की आवाज़ | स्मूद और शांत | खड़खड़ाहट, टैपिंग, तेज़ आवाज़ |
स्टार्टिंग | एक बार में स्टार्ट होना | बार-बार कोशिश करनी पड़े या देरी से स्टार्ट हो |
गियर शिफ्टिंग | स्मूद बदलाव, बिना झटका या आवाज़ के | रूकावट, घिसने की आवाज़, झटका लगना |
स्थानीय शब्दों का उपयोग करें और ड्राइवर से पूछें:
अगर आपको कोई भी असामान्य चीज़ लगे तो टेस्ट ड्राइव के दौरान सीधे सेलर या डीलर से पूछ सकते हैं: “भैया, इंजन में ये आवाज़ क्यों आ रही है?” या “गियर बदलते समय ये रूकावट महसूस हो रही है, इसका कारण क्या हो सकता है?” इससे आप डीलर की जानकारी भी चेक कर सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं।
2. ब्रेक और सस्पेंशन की जाँच
ब्रेकिंग के समय कार की प्रतिक्रिया
सेकंड हैंड कार की टेस्ट ड्राइव करते समय सबसे पहली चीज़ जो आपको चेक करनी चाहिए, वह है ब्रेकिंग सिस्टम। भारतीय सड़कों पर अचानक रुकना या स्लो होना आम बात है, इसलिए ब्रेक्स का सही से काम करना बेहद जरूरी है। टेस्ट ड्राइव के दौरान अलग-अलग स्पीड पर ब्रेक लगाकर देखें कि कार तुरंत रुकती है या नहीं। अगर ब्रेक लगाने पर कोई आवाज़ आती है या कार एक तरफ झुकती है, तो ये खराबी के संकेत हो सकते हैं।
स्टीयरिंग वील का वाइब्रेशन
जब आप गाड़ी चला रहे हों और ब्रेक लगाएं, तो ध्यान दें कि स्टीयरिंग वील में कोई वाइब्रेशन तो महसूस नहीं हो रहा है। अगर ब्रेकिंग के दौरान स्टीयरिंग हिलता या कांपता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि डिस्क या ड्रम में कोई दिक्कत है। खासकर भारत जैसे देशों में, जहां सड़कें हमेशा स्मूद नहीं होतीं, यह जांचना बहुत जरूरी है।
सस्पेंशन की स्मूदनेस कैसे चेक करें?
भारतीय सड़कों पर गड्ढे और ऊबड़-खाबड़ रास्ते काफी आम हैं। इसलिए सेकंड हैंड कार खरीदते वक्त सस्पेंशन की स्मूदनेस जरूर जांचें। टेस्ट ड्राइव के दौरान जानबूझकर थोड़े खराब रास्ते या स्पीड ब्रेकर पर गाड़ी चलाएं और देखें कि कार का सस्पेंशन झटके कितने अच्छे से झेलता है। अगर हर छोटे झटके पर गाड़ी में तेज आवाज़ आए या सीट पर ज्यादा झटका लगे, तो समझ लीजिए कि सस्पेंशन में दिक्कत है।
ब्रेक और सस्पेंशन जांच के लिए चेकलिस्ट
जांच बिंदु | क्या ध्यान रखें? |
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ब्रेकिंग रिस्पॉन्स | कार तुरंत रुकती है या नहीं, कोई अजीब आवाज़ तो नहीं? |
स्टीयरिंग वाइब्रेशन | ब्रेक लगाते समय स्टीयरिंग हिलता या कांपता तो नहीं? |
सस्पेंशन स्मूदनेस | गड्ढों/स्पीड ब्रेकर पर झटका कम लगे और आवाज़ ना हो |
कार का बैलेंस | तेज ब्रेकिंग में कार एक तरफ तो नहीं जा रही? |
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही सेकंड हैंड कार की टेस्ट ड्राइव पूरी करें, ताकि आपको आगे चलकर कोई परेशानी न हो और भारतीय सड़कों पर आपकी ड्राइव हमेशा सुरक्षित रहे।
3. क्लच और एक्सेलेरेटर का प्रदर्शन
क्लच रिलीज़ में स्मूदनेस की जाँच कैसे करें?
सेकंड हैंड कार खरीदते समय टेस्ट ड्राइव के दौरान सबसे पहले क्लच को ध्यान से देखें। क्लच को दबाने और छोड़ने पर कोई अटकाव, झटका या आवाज नहीं आनी चाहिए। अगर क्लच बहुत हार्ड या बहुत सॉफ्ट लगे, तो यह उसकी कंडीशन ठीक न होने का संकेत है।
जाँच बिंदु | क्या देखना है? |
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क्लच की स्मूदनेस | दबाने और छोड़ने में आसानी होनी चाहिए |
क्लच स्लिपिंग | गियर बदलते समय स्लिपिंग या गाड़ी के आगे बढ़ने में देरी नहीं होनी चाहिए |
अजीब आवाज़ें | कोई क्रैकिंग या घिसने की आवाज नहीं आनी चाहिए |
एक्सेलेरेटर रिस्पॉन्स और पिक-अप की जाँच करें
कार स्टार्ट करते ही हल्के से एक्सेलेरेटर दबाएँ और देखें कि कार कितनी जल्दी रेस्पॉन्स करती है। अगर एक्सेलेरेशन में लेटेंसी या झटका महसूस हो, तो इंजन या फ्यूल सिस्टम में कोई दिक्कत हो सकती है।
शहर और हाईवे दोनों के लिए टेस्ट करें
- शहर: ट्रैफिक में लो-स्पीड पर चलाते हुए क्लच और एक्सेलेरेटर का बैलेंस देखें। बार-बार गियर बदलते वक्त स्मूदनेस बनी रहनी चाहिए।
- हाईवे: हाईवे पर तेज स्पीड में कार का पिक-अप, ओवरटेकिंग क्षमता और लंबी दूरी तक बिना रुकावट चले, इसकी जाँच करें।
सुझाव:
अगर आपको क्लच या एक्सेलेरेटर में कोई असामान्य बात लगे तो इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि बाद में बड़ी रिपेयरिंग का खर्चा आ सकता है। बेहतर है कि टेस्ट ड्राइव के दौरान ही इन पॉइंट्स को अच्छे से नोट कर लें।
4. एसी, हीटर और अन्य इलेक्ट्रिकल फीचर्स का परीक्षण
भारत में मौसम बहुत विविध होता है—कभी तेज़ गर्मी, कभी कड़ाके की सर्दी और कभी भारी बारिश। इसलिए सेकंड हैंड कार खरीदते समय टेस्ट ड्राइव के दौरान एयर कंडीशनर (AC), हीटर और दूसरी इलेक्ट्रिकल चीज़ें अच्छी तरह से जांचना बेहद ज़रूरी है। अगर ये फीचर्स सही से काम नहीं कर रहे हैं तो आपको बाद में परेशानी हो सकती है या खर्चा ज्यादा आ सकता है। नीचे एक टेबल दी गई है, जिससे आप आसानी से चेक कर सकते हैं कि कौन‐कौन सी चीज़ें देखनी चाहिए:
फीचर | कैसे जांचें? | क्या ध्यान दें? |
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एयर कंडीशनर (AC) | इंजन ऑन करके AC स्विच चालू करें, 5-10 मिनट चलाएं। | क्या ठंडी हवा आ रही है? आवाज़ या बदबू तो नहीं? |
हीटर | हीटर चालू करके देखें, विंडो और केबिन में गर्म हवा आ रही है या नहीं। | गर्मी पर्याप्त है? कोई अजीब गंध तो नहीं? |
विंडो/पावर विंडो | हर दरवाज़े की विंडो ऊपर-नीचे करें। | स्मूदली चल रही हैं? कहीं फंस तो नहीं रही? |
लाइट्स (हेडलाइट, टेल लाइट, इंडिकेटर) | सभी लाइट्स को ऑन-ऑफ करके देखें। | सब ठीक से जल रही हैं? कोई ब्लिंकिंग इश्यू तो नहीं? |
मीटर और डैशबोर्ड इंडिकेटर्स | स्पीडोमीटर, फ्यूल मीटर, टेम्परेचर मीटर आदि चेक करें। | सभी मीटर सही रीडिंग दिखा रहे हैं? |
इन सभी फीचर्स की जांच करने के बाद ही आगे बढ़ें। भारत की जलवायु को देखते हुए एयर कंडीशनर और हीटर का सही से काम करना बहुत जरूरी है, खासकर लंबे सफर या ट्रैफिक में फंसने पर। इसी तरह विंडो, लाइट्स और मीटर भी सुरक्षा और सुविधा के लिए अहम हैं। छोटे-छोटे टेस्ट आपकी बड़ी परेशानी बचा सकते हैं, इसलिए टेस्ट ड्राइव के वक्त हर इलेक्ट्रिकल फीचर को जरूर चेक करें।
5. सड़क पर हैंडलिंग और ड्राइविंग कम्फर्ट
टेस्ट ड्राइव के दौरान अलग-अलग रोड कंडीशन्स का अनुभव लें
सेकंड हैंड कार खरीदते समय टेस्ट ड्राइव केवल सीधी और खाली सड़क पर ही न लें, बल्कि उसे अलग-अलग रोड कंडीशन्स जैसे कि स्पीड ब्रेकर, गड्ढे (पॉटहोल्स), ट्रैफिक और टर्न्स पर भी चलाएं। इससे आपको कार की असली हैंडलिंग और कम्फर्ट का अंदाजा मिलेगा।
मुख्य बातें जिनपर ध्यान दें:
कंडीशन | क्या देखें? |
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स्पीड ब्रेकर/गड्ढे | सस्पेंशन सिस्टम की क्वालिटी, झटके लग रहे हैं या नहीं, कोई अजीब आवाज तो नहीं आ रही? |
ट्रैफिक | लो-स्पीड पर क्लच व गियर स्मूद हैं या नहीं? अचानक रुकने-चलने में दिक्कत तो नहीं? |
हाईवे/खाली सड़क | कार स्टेबल है या स्टीयरिंग हिल रहा है? ब्रेकिंग सही है या नहीं? |
तीखे मोड़ (Sharp Turns) | कार बैलेंस्ड रहती है या ज्यादा झुकती है? स्टीयरिंग रिस्पॉन्स कैसा है? |
इन्हें जरूर चेक करें:
- एसी/हीटर चलते वक्त केबिन में शोर या कंपन तो नहीं हो रहा?
- सीट्स आरामदायक हैं या लंबे समय बैठने में परेशानी होती है?
- विंडो ग्लास से बाहर का शोर बहुत ज्यादा तो नहीं आता?
भारतीय सड़कों के हिसाब से क्यों जरूरी है?
भारत में रास्तों की हालत हर जगह एक जैसी नहीं होती। कहीं ट्रैफिक जाम, कहीं खराब रोड, कहीं स्पीड ब्रेकर — इसलिए सेकंड हैंड कार लेते वक्त हर तरह की कंडीशन में उसकी ड्राइविंग क्वालिटी और कंफर्ट जांचना बेहद जरूरी है। इससे आप यह तय कर पाएंगे कि कार आपकी डेली जरूरतों के हिसाब से फिट है या नहीं।
6. तैयार डॉक्यूमेंट्स और सर्विस हिस्ट्री की चेकिंग
जब आप सेकंड हैंड कार की टेस्ट ड्राइव करने जा रहे हैं, तो सिर्फ गाड़ी चलाना ही काफी नहीं है। भारत में, कागजातों की जांच बहुत जरूरी है क्योंकि सही डाक्यूमेंट्स के बिना भविष्य में आपको काफी दिक्कतें हो सकती हैं। खासकर दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु जैसे बड़े शहरों में यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
टेस्ट ड्राइव से पहले और बाद में किन दस्तावेज़ों की जांच करें?
दस्तावेज़ का नाम | क्या देखना है? |
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RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) | गाड़ी मालिक का नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन व चेसीस नंबर मिलाएं। RC ओरिजिनल होनी चाहिए। |
सर्विस रिकॉर्ड्स | रेगुलर सर्विसिंग हुई है या नहीं, बड़े रिपेयर हुए हैं या नहीं – सर्विस बुक या बिल देखें। |
इंश्योरेंस पेपर्स | इंश्योरेंस वैलिड है या नहीं, क्लेम हिस्ट्री जरूर चेक करें। थर्ड पार्टी/फुल कवरेज देख लें। |
फिटनेस सर्टिफिकेट (पुरानी गाड़ियों के लिए) | अगर गाड़ी 15 साल से पुरानी है तो फिटनेस सर्टिफिकेट होना जरूरी है। इसकी वैधता जरूर देखें। |
पोलूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट | गाड़ी का PUC वैलिड होना चाहिए ताकि कोई चालान न कटे। |
NOC (अगर गाड़ी दूसरे राज्य की है) | NOC जरूरी है अगर गाड़ी दूसरे राज्य से ट्रांसफर हो रही है। |
भारतीय यूजर्स के लिए जरूरी टिप्स:
- वेरिफिकेशन: सभी दस्तावेजों को ऑरिजिनल देखें और उनकी कॉपी अपने पास रखें। नकली या टेम्पर्ड कागज़ों से बचें।
- ऑनलाइन चेकिंग: mParivahan ऐप या सरकारी वेबसाइट पर गाड़ी की डिटेल्स वेरिफाई करें। इससे असली मालिक और गाड़ी की जानकारी मिल जाती है।
- सर्विस हिस्ट्री: अगर सर्विस रिकॉर्ड पूरी तरह उपलब्ध नहीं है तो सेलर से पूछें कि किस सर्विस सेंटर पर काम हुआ था और वहां कॉल करके पुष्टि करें।