सर्विसिंग के दौरान इंजन में किन चीजों की विशेष जाँच होनी चाहिए

सर्विसिंग के दौरान इंजन में किन चीजों की विशेष जाँच होनी चाहिए

विषय सूची

1. इंजन ऑयल और ऑयल फिल्टर की जाँच

इंजन ऑयल की स्थिति और मात्रा की जाँच

इंजन के सुचारू संचालन के लिए इंजन ऑयल का सही स्तर और उसकी गुणवत्ता बहुत जरूरी होती है। सर्विसिंग के समय आपको यह देखना चाहिए कि इंजन ऑयल गाढ़ा या काला तो नहीं हो गया है, उसमें कोई गंदगी तो नहीं है, या वह जरूरत से कम तो नहीं है। अगर ऑयल में गंदगी है या उसकी मात्रा कम है, तो यह इंजन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

ऑयल फिल्टर का महत्व

ऑयल फिल्टर इंजन ऑयल में मौजूद गंदगी और धूल को छानने का काम करता है। यदि ऑयल फिल्टर चोक्ड या पुराना हो जाता है, तो वह अपना काम सही ढंग से नहीं कर पाता, जिससे इंजन जल्दी खराब हो सकता है। इसलिए हर सर्विसिंग पर ऑयल फिल्टर की भी अच्छी तरह से जाँच करें और जरूरत पड़ने पर उसे बदलवाएं।

इंजन ऑयल और फिल्टर जाँच तालिका
जाँच बिंदु क्या करना चाहिए
इंजन ऑयल का रंग अगर ऑयल बहुत गहरा या काला हो गया हो तो बदलें
ऑयल का स्तर डिपस्टिक से जांचें, अगर कम हो तो टॉप-अप करें
ऑयल की गुणवत्ता अगर ऑयल में कोई गंदगी दिखे तो तुरंत बदलें
ऑयल फिल्टर की स्थिति अगर फिल्टर पुराना या चोक्ड हो, तो नया लगवाएं

सही समय पर इंजन ऑयल और ऑयल फिल्टर की जाँच एवं बदलाव आपके वाहन के इंजन को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है और भारतीय सड़कों पर बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करता है।

2. कूलेंट लेवल और लीकेज की जांच

इंजन को ओवरहीटिंग से बचाने के लिए कूलेंट की भूमिका

भारत में गर्मियों के मौसम में तापमान बहुत अधिक हो जाता है, जिससे आपकी कार का इंजन जल्दी ओवरहीट हो सकता है। ऐसे में सर्विसिंग के दौरान कूलेंट लेवल और सिस्टम में किसी भी तरह की लीकेज की जांच करना बहुत ज़रूरी है। सही मात्रा में कूलेंट इंजन को ठंडा रखने में मदद करता है और ओवरहीटिंग के खतरे को कम करता है।

कूलेंट लेवल और लीकेज की जांच क्यों जरूरी है?

  • कम कूलेंट से इंजन तेजी से गर्म हो सकता है
  • लीकेज होने पर कूलेंट तेजी से खत्म होता है
  • इंजन पार्ट्स डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है
  • लंबे सफर या ट्रैफिक जाम में गाड़ी बंद हो सकती है

कैसे जांचें कूलेंट लेवल और लीकेज?

  1. सबसे पहले इंजन को ठंडा होने दें, उसके बाद ही कैप खोलें।
  2. रेडिएटर या रिजर्व टैंक में मिनिमम और मैक्सिमम मार्किंग देखें।
  3. अगर लेवल कम है तो उचित ग्रेड का कूलेंट डालें।
  4. पाइप्स, रेडिएटर और कनेक्शन्स पर कोई गीलापन या हरा-नीला दाग दिखे तो वह लीकेज हो सकता है।
कूलेंट चेक करने का आसान तरीका (तालिका)
चेक करने का स्टेप क्या देखें
इंजन ठंडा करें सुरक्षा के लिए आवश्यक
कूलेंट लेवल देखें मिन/मैक्स मार्किंग के बीच होना चाहिए
लीकेज चेक करें गीले धब्बे, रंगीन दाग, बदबू

याद रखें, अगर बार-बार कूलेंट कम हो रहा है या गाड़ी जल्दी ओवरहीट हो रही है, तो तुरंत सर्विस सेंटर जाएं। भारतीय सड़कों और मौसम के हिसाब से नियमित जांच से आपकी गाड़ी सुरक्षित और भरोसेमंद रहेगी।

एयर फिल्टर और फ्यूल फिल्टर की सफाई

3. एयर फिल्टर और फ्यूल फिल्टर की सफाई

भारतीय वातावरण में एयर और फ्यूल फिल्टर का महत्व

भारत में धूल-मिटी और प्रदूषण का स्तर काफ़ी ज़्यादा होता है। ऐसे माहौल में इंजन को सही ढंग से चलाने के लिए एयर फिल्टर और फ्यूल फिल्टर की नियमित जांच और सफाई बहुत जरूरी होती है। अगर ये फिल्टर गंदे हो जाते हैं, तो इंजन की परफॉर्मेंस कम हो सकती है और माइलेज भी घट सकता है।

एयर फिल्टर और फ्यूल फिल्टर की जाँच क्यों जरूरी है?

फिल्टर का नाम जाँच/सफाई की आवश्यकता प्रभाव
एयर फिल्टर हर 5,000-10,000 किमी या सर्विसिंग के समय इंजन में साफ हवा पहुँचती है, परफॉर्मेंस सुधरती है
फ्यूल फिल्टर हर 20,000-30,000 किमी या मैन्युफैक्चरर की सलाह अनुसार ईंधन में मौजूद गंदगी रुकती है, इंजन स्मूद चलता है
कैसे करें एयर और फ्यूल फिल्टर की देखभाल?
  • सर्विसिंग के दौरान हमेशा मैकेनिक से दोनों फिल्टर्स चेक करवाएँ।
  • जरूरत हो तो उन्हें साफ़ करवाएँ या बदलवाएँ।
  • यदि आप धूल भरे इलाकों में ज्यादा ड्राइव करते हैं, तो थोड़े-थोड़े समय बाद जांच करवाएं।
  • गाड़ी स्टार्ट होने में दिक्कत, पिकअप कम होना या ज्यादा धुआँ आना – ये संकेत हैं कि फिल्टर्स की हालत खराब हो सकती है।

इस तरह एयर और फ्यूल फिल्टर की नियमित सफाई भारतीय परिस्थितियों में आपकी गाड़ी के इंजन को स्वस्थ रखने और लंबी उम्र देने के लिए बेहद जरूरी है।

4. स्पार्क प्लग्स और वायरिंग की जांच

इंजन की इग्निशन प्रणाली में स्पार्क प्लग्स का महत्व

सर्विसिंग के दौरान इंजन के स्पार्क प्लग्स और उनकी वायरिंग की जांच करना बहुत जरूरी है। सही तरीके से काम करने वाले स्पार्क प्लग्स इंजन को आसानी से स्टार्ट करने में मदद करते हैं और फ्यूल एफिशिएंसी भी बढ़ाते हैं। अगर स्पार्क प्लग्स या उनकी वायरिंग में कोई समस्या हो, तो इंजन में मिसफायर, पावर कम होना या स्टार्टिंग में दिक्कत जैसी परेशानियां आ सकती हैं।

स्पार्क प्लग्स और वायरिंग की जांच कैसे करें?

क्या जांचना है कैसे जांचें
स्पार्क प्लग की स्थिति प्लग को निकालकर देखें कि उसमें कार्बन जमा तो नहीं है या वह जला हुआ तो नहीं है
वायरिंग कनेक्शन वायर लूज़ या कटे-फटे तो नहीं हैं, कनेक्शन मजबूत हैं या नहीं
स्पार्क गैप स्पार्क प्लग के दोनों सिरों के बीच गैप सही है या नहीं, जरूरत हो तो गैप एडजस्ट करें
भारतीय परिस्थितियों में ध्यान देने योग्य बातें

भारत में धूल-मिट्टी और मौसम की वजह से स्पार्क प्लग्स जल्दी गंदे हो सकते हैं या वायरिंग ढीली हो सकती है। इसलिए हर सर्विस पर इन्हें जरूर चेक कराएं और जरूरत पड़े तो सफाई या रिप्लेसमेंट करवाएं। इससे आपकी गाड़ी स्मूद स्टार्ट होगी और माइलेज भी अच्छा मिलेगा।

5. इंजन बेल्ट और हॉज़ेस का निरीक्षण

इंडिया की जलवायु और सड़कों पर धूल-मिट्टी के कारण इंजन बेल्ट्स और हॉज़ेस जल्दी खराब हो सकते हैं। इसलिए सर्विसिंग के दौरान इनकी अच्छी तरह से जाँच बहुत जरूरी है। अगर इनमें कोई दरार (क्रैक), टूट-फूट, या ढीलापन दिखे तो इन्हें तुरंत बदलवा देना चाहिए।

इंजन बेल्ट्स और हॉज़ेस में क्या-क्या देखें?

जांचने वाली चीज़ संभावित समस्या क्या करें?
बेल्ट में दरार या कट बेल्ट टूट सकती है, जिससे इंजन को नुकसान बेल्ट तुरंत बदलवाएं
हॉज़ में लीक या फुलाव कूलेंट या तेल लीक हो सकता है हॉज़ बदलवाएं
बेल्ट का ढीलापन स्लिपिंग या शोर हो सकता है बेल्ट कसवाएं या बदलवाएं
हॉज़ पर जंग या सख्ती हॉज़ फट सकता है, ओवरहीटिंग का खतरा हॉज़ बदलवाएं

भारतीय परिस्थितियों में विशेष ध्यान क्यों जरूरी?

भारत की गर्मी, लगातार ट्रैफिक और धूल भरी सड़कों के कारण इंजन के ये पार्ट्स जल्दी घिस जाते हैं। समय-समय पर सर्विसिंग में इनकी जांच कराने से आप रास्ते में अचानक रुकने की परेशानी से बच सकते हैं। स्थानीय मैकेनिक से हमेशा पूछें कि वे बेल्ट्स और हॉज़ेस को अच्छे से चेक करें। इससे आपकी कार लंबे समय तक बिना किसी दिक्कत के चलेगी।