1. इंजन और गियरबॉक्स की जांच
इंजन की स्थिति कैसे जांचें?
पुरानी कार खरीदते समय सबसे पहले इंजन की सही स्थिति जानना बहुत जरूरी है। जब आप टेस्ट ड्राइव के लिए कार स्टार्ट करें, तो देखें कि इंजन आसानी से स्टार्ट होता है या नहीं। अगर स्टार्टिंग में दिक्कत आती है, तो यह इंजन की कमजोरी का संकेत हो सकता है।
ध्यान देने योग्य मुख्य बातें
जांच बिंदु | क्या देखें? |
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इंजन स्टार्टिंग | आसान और स्मूथ स्टार्ट होना चाहिए |
आवाज | इंजन में कोई असामान्य आवाज़ न हो |
धुंआ | साइलेंसर से काला या नीला धुंआ न निकले |
गियरबॉक्स | गियर बदलते समय कोई झटका, आवाज़ या कंपन न हो |
एक्सीलेरेशन और पिक-अप | कार बिना रुकावट तेज़ चले और पिक-अप सही हो |
गियरबॉक्स की जांच कैसे करें?
टेस्ट ड्राइव के दौरान हर गियर को एक-एक करके बदलें। अगर गियर लगाते समय कोई अटकाव या अजीब आवाज़ आती है, तो इसका मतलब गियरबॉक्स में दिक्कत हो सकती है। गियर बदलते वक्त क्लच भी स्मूथ होना चाहिए। आप हाईवे या ओपन रोड पर कार ले जाकर एक्सीलेरेशन को भी अच्छे से महसूस कर सकते हैं। इससे पता चलता है कि इंजन और गियरबॉक्स दोनों सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं।
स्थानीय भाषा में सुझाव:
भारतीय सड़कों पर अक्सर ट्रैफिक और खराब रास्ते होते हैं, इसलिए टेस्ट ड्राइव ऐसी जगह करें जहां आपको ब्रेकिंग, एक्सीलेरेशन और गियर शिफ्टिंग को अच्छे से परखने का मौका मिले। किसी दोस्त या मैकेनिक को साथ लेकर जाएं ताकि वे भी इंजन की आवाज़ और परफॉर्मेंस को सुन सकें। इस तरह आप पुरानी कार खरीदते समय बेहतर फैसला ले सकते हैं।
2. ब्रेक और सस्पेंशन
ब्रेक्स की जांच कैसे करें?
पुरानी कार खरीदते समय टेस्ट ड्राइव पर सबसे जरूरी चीजों में से एक है ब्रेक्स की पकड़। गाड़ी चलाते हुए ब्रेक लगाकर देखिए कि कहीं कोई अजीब आवाज या वाइब्रेशन तो नहीं आ रहा। अगर ब्रेक पैडल दबाने पर गाड़ी एकदम रुक जाती है और पैडल सॉफ्ट लगता है, तो ब्रेक अच्छे हैं। लेकिन अगर पैडल हार्ड है, गाड़ी खिंच रही है, या ब्रेक लगाने पर घिसने जैसी आवाज आती है, तो इसमें दिक्कत हो सकती है। नीचे टेबल में देखें ब्रेक्स चेक करने के आसान पॉइंट्स:
जांच करने का पॉइंट | क्या ध्यान दें |
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ब्रेक पैडल की फीलिंग | सॉफ्ट या हार्ड, वाइब्रेशन तो नहीं? |
ब्रेक लगाते वक्त आवाज | घिसने/चरमराने जैसी आवाज नहीं होनी चाहिए |
गाड़ी का रुकना | सीधे लाइन में रुके, साइड में न जाए |
इंडियन रोड्स के लिए सस्पेंशन की अहमियत
भारत की सड़कें कई बार खराब होती हैं, इसलिए सस्पेंशन सिस्टम अच्छा होना चाहिए। टेस्ट ड्राइव के दौरान स्पीड ब्रेकर या गड्ढों से गाड़ी निकालिए और महसूस करें कि शॉक एब्जॉर्बर कितने स्मूदली काम कर रहे हैं। अगर झटके बहुत ज्यादा महसूस होते हैं या कार से अजीब आवाज आती है, तो सस्पेंशन में प्रॉब्लम हो सकती है। इंडियन रोड कंडीशन के हिसाब से सस्पेंशन की सॉफ्टनेस जरूर चेक करें।
सस्पेंशन चेकिंग पॉइंट्स | क्या देखना है? |
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शॉक एब्जॉर्बर की स्थिति | लीक तो नहीं? साउंड आ रही है क्या? |
सॉफ्टनेस/हार्डनेस | बहुत हार्ड या बहुत सॉफ्ट ना हो, बैलेंस सही होना चाहिए |
गड्ढे पार करते समय रिएक्शन | अचानक झटका ना लगे, स्मूथ मूवमेंट हो |
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही पुरानी कार का ब्रेक और सस्पेंशन अच्छे से टेस्ट करें ताकि बाद में कोई दिक्कत न आए।
3. स्टेयरिंग और हैंडलिंग
पुरानी कार खरीदते समय स्टेयरिंग और हैंडलिंग की जांच कैसे करें?
जब आप पुरानी कार टेस्ट ड्राइव के लिए ले जा रहे हैं, तो सबसे पहले आपको स्टेयरिंग व्हील की स्मूथनेस को महसूस करना चाहिए। अगर स्टेयरिंग घुमाने में भारीपन या झटके आ रहे हैं, तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है। इंडियन ट्रैफिक और रोड कंडीशन्स में सही हैंडलिंग बहुत जरूरी है, क्योंकि यहां सड़कों पर गड्ढे, मोड़ और ट्रैफिक जाम आम बात है।
स्टेयरिंग और हैंडलिंग चेकलिस्ट
जांचने की चीज़ | क्या देखना है? |
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स्टेयरिंग स्मूथनेस | स्टेयरिंग आसानी से बिना रुकावट घुम रही है या नहीं |
ओवरऑल कंट्रोल | कार तेज और स्लो स्पीड दोनों पर कंट्रोल में है या नहीं |
रोड ग्रिप | कार मोड़ने पर टायर स्लिप तो नहीं कर रहे |
वाइब्रेशन/आवाज़ें | स्टेयरिंग घुमाते समय कोई असामान्य आवाज़ या वाइब्रेशन महसूस हो रहा है या नहीं |
रिटर्न टू सेंटर | मोड़ने के बाद स्टेयरिंग खुद-ब-खुद सेंटर पोजिशन में लौट रही है या नहीं |
इंडियन रोड्स के लिए क्यों जरूरी है?
भारत में अक्सर खराब सड़कें, ट्रैफिक और कई तरह की रोड कंडीशन्स मिलती हैं। ऐसे में कार की स्टेयरिंग और हैंडलिंग जितनी अच्छी होगी, आपकी ड्राइव उतनी ही सेफ और आरामदायक होगी। टेस्ट ड्राइव के दौरान अलग-अलग स्पीड पर कार को मोड़ें, ब्रेक लगाएं और देखें कि कार कितना अच्छे से कंट्रोल में रहती है। इससे आपको पता चलेगा कि पुरानी कार आपके रोजमर्रा के सफर के लिए फिट है या नहीं।
4. एसी, इलेक्ट्रिकल्स और अन्य फीचर्स
पुरानी कार खरीदते समय टेस्ट ड्राइव के दौरान सिर्फ इंजन या गियरबॉक्स ही नहीं, बल्कि एसी और सभी इलेक्ट्रिकल फीचर्स को भी अच्छे से चेक करना बहुत जरूरी है। भारत में मौसम की वजह से एसी की कूलिंग बहुत मायने रखती है, वहीं ट्रैफिक में इलेक्ट्रिकल्स का सही काम करना जरूरी होता है। नीचे टेबल में कुछ मुख्य फीचर्स दिए गए हैं जिन्हें आपको जरूर चेक करना चाहिए:
फीचर | क्या चेक करें? |
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एसी (AC) | क्या एसी जल्दी कूल करता है? ब्लोअर की स्पीड ठीक है या नहीं? |
हेडलाइट | रात में हेडलाइट्स की रोशनी पर्याप्त है या नहीं? हाई-लो बीम दोनों चेक करें। |
इंडिकेटर/पार्किंग लाइट्स | सभी इंडिकेटर और पार्किंग लाइट्स काम कर रही हैं या नहीं? |
हॉर्न | हॉर्न की आवाज़ तेज़ और क्लियर है? ट्रैफिक में बहुत जरूरी होता है। |
पावर विंडो | सभी विंडोज़ स्मूदली ऊपर-नीचे हो रही हैं या अटक रही हैं? |
वाइपर वॉशर | वाइपर और वॉशर मोटर सही चल रहे हैं? |
म्यूजिक सिस्टम | स्पीकर्स और म्यूजिक सिस्टम ठीक से चल रहे हैं? |
चार्जिंग पोर्ट्स/USB | फोन चार्ज करने के लिए पोर्ट्स काम कर रहे हैं? |
इन सभी चीजों को टेस्ट ड्राइव के दौरान खुद हाथ लगाकर चेक करें। अगर कोई फीचर काम नहीं कर रहा तो डीलर या कार मालिक से पूछें कि रिपेयर हो सकता है या नहीं। कभी-कभी छोटी सी इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम बाद में बड़ा खर्चा करा सकती है, इसलिए हर स्विच, बटन और फीचर को एक बार जरूर आजमा लें। भारत जैसे देश में जहां मौसम गर्म रहता है, वहां एसी की कूलिंग पर खास ध्यान दें ताकि गर्मी में परेशानी न हो। इसी तरह, सभी इलेक्ट्रिकल फंक्शन्स ट्रैफिक और सफर के दौरान आपकी सुविधा के लिए जरूरी होते हैं। ध्यान रखें – छोटी-छोटी चीजें ही बाद में आपको संतुष्ट या परेशान कर सकती हैं।
5. टायर और अंडरबॉडी
पुरानी कार खरीदते समय, टायर और अंडरबॉडी की जांच करना बहुत जरूरी है, खासकर भारत के मौसम को देखते हुए। भारतीय मानसून में सड़कों पर पानी और कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे टायरों की पकड़ (ग्रिप) और कार के नीचे जंग (रस्ट) लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए, आप जब भी टेस्ट ड्राइव के लिए जाएं, इन बातों का ध्यान जरूर रखें:
टायरों की ग्रिप और वियर जांचें
जांच बिंदु | कैसे जांचें |
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टायर ट्रैड डेप्थ | ट्रैड गेज या सिक्के से गहराई मापें; कम से कम 1.6mm होना चाहिए। |
असमान घिसाव (Uneven Wear) | चारों टायरों को ध्यान से देखें – एक तरफ ज्यादा घिसे हों तो व्हील अलाइनमेंट में दिक्कत हो सकती है। |
क्रैक या कट्स | टायर की सतह पर दरारें, कट्स या उभार न हों। ये सड़क सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। |
मैन्युफैक्चरिंग डेट | टायर के साइडवॉल पर DOT नंबर देखें; पांच साल से पुराने टायर बदलना बेहतर रहता है। |
अंडरबॉडी चेक: रस्ट और लीकेज पर ध्यान दें
- जंग (रस्ट): कार को जैक लगाकर या सर्विस सेंटर में उठवाकर अंडरबॉडी अच्छे से देखें। अगर कहीं जंग लगी हो तो आगे चलकर खर्चा बढ़ सकता है। खासकर मॉनसून वाले इलाकों में यह समस्या आम है।
- लीकेज: तेल, कूलेंट या ब्रेक फ्लूइड का रिसाव ना हो, इसके लिए इंजन, ट्रांसमिशन और डिफरेंशियल एरिया पर नजर डालें। अगर कोई सील या गैस्केट लीक कर रही है तो तुरंत पता चल जाएगा।
- सस्पेंशन पार्ट्स: शॉक अब्जॉर्बर्स या अन्य सस्पेंशन पार्ट्स में भी ऑयल लीकेज नहीं होना चाहिए। लीकेज होने पर झटका ज्यादा लगेगा और कार कंट्रोल में नहीं रहेगी।
भारतीय मानसून में क्या-क्या सावधानियां बरतें?
- मानसून के समय पानी जमा होने से अंडरबॉडी जल्दी खराब हो सकती है, इसलिए रबर कोटिंग चेक करें या करवाएं।
- अगर आप पहाड़ी या ग्रामीण इलाकों से कार ले रहे हैं, तो गाड़ी के नीचे पत्थरों से आई डेंट्स भी जरूर देखें।
- प्रत्येक टायर के एयर प्रेशर को भी जांचना न भूलें, क्योंकि कम प्रेशर से एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है।