1. पुरानी कार खरीदने से पहले सर्विस रिकॉर्ड क्यों जरूरी है
जब भी आप पुरानी कार खरीदने का सोचते हैं, तो सबसे पहली चीज़ जो ध्यान में रखनी चाहिए, वो है गाड़ी की सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड। भारतीय मार्केट में अक्सर लोग सिर्फ गाड़ी का मॉडल, माइलेज या उसकी कीमत देखकर फैसला ले लेते हैं, लेकिन अगर कार की सर्विस हिस्ट्री सही नहीं है, तो आगे चलकर आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
कार की सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड देखने के फायदे
फायदा | विवरण |
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कार की असली हालत जानना | सर्विस रिकॉर्ड से पता चलता है कि गाड़ी की सही देखभाल हुई है या नहीं। इससे इंजन, ब्रेक्स, सस्पेंशन आदि के बारे में जानकारी मिलती है। |
भविष्य में कम खर्चा | अगर गाड़ी रेगुलर सर्विस होती रही है, तो उसमें अचानक खराबी आने की संभावना कम रहती है। इससे आपका पैसा बचता है। |
रिजेल वैल्यू ज्यादा | अच्छे सर्विस रिकॉर्ड वाली कार को भविष्य में बेचने पर बेहतर दाम मिल सकते हैं। खरीदार ऐसे वाहन को प्राथमिकता देते हैं जिसमें ट्रांसपेरेंसी हो। |
विश्वास और भरोसा | जब आपको पूरी हिस्ट्री मिलती है तो मन में शांति रहती है कि आपने सही निर्णय लिया है। |
भारतीय बाजार में सर्विस रिकॉर्ड देखने का महत्त्व
भारत जैसे देश में जहां बहुत सारी गाड़ियाँ लोकल गैरेज या गैर-ऑथोराइज्ड वर्कशॉप्स में रिपेयर होती हैं, वहां सर्विस रिकॉर्ड होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह रिकॉर्ड बताता है कि गाड़ी समय पर सर्विस हुई या नहीं और किन पार्ट्स को बदला गया है। इससे आपको यह भी पता चलता है कि कहीं गाड़ी बड़ी दुर्घटना (एक्सीडेंट) का शिकार तो नहीं हुई थी।
सर्विस रिकॉर्ड न होने पर क्या करें?
अगर विक्रेता के पास पूरा रिकॉर्ड नहीं है, तो आप उससे पूछ सकते हैं:
- गाड़ी किस-किस वर्कशॉप में गई थी?
- कब-कब सर्विस हुई?
- क्या कोई बड़ी रिपेयरिंग कराई गई थी?
- ऑनलाइन पोर्टल्स (जैसे कि MyCarHelpline या CarDekho) पर VIN नंबर डालकर भी कुछ जानकारी निकाली जा सकती है।
संक्षेप में कहें तो…
पुरानी कार खरीदते वक्त उसका सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड जरूर देखें ताकि आप एक भरोसेमंद और अच्छी कंडीशन वाली गाड़ी ही खरीदें। इससे आगे चलकर न सिर्फ परेशानी कम होगी बल्कि पैसे की भी बचत होगी।
2. सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड कहां से प्राप्त करें
जब आप पुरानी कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो उसकी सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड की जानकारी लेना बहुत ज़रूरी है। इससे आपको पता चलेगा कि गाड़ी की देखभाल कैसे हुई है और उसमें किसी तरह की बड़ी समस्या तो नहीं आई थी। आइए जानते हैं कि आप यह रिकॉर्ड कहाँ से मँगा सकते हैं और किन-किन दस्तावेज़ों की जरूरत होगी।
पुराने कार डीलर से रिकॉर्ड कैसे लें?
अगर आप डीलरशिप से पुरानी कार खरीद रहे हैं, तो उनसे गाड़ी का पूरा सर्विस हिस्ट्री मांगें। अच्छे डीलर्स के पास आमतौर पर पूरा रिकॉर्ड रहता है जो आपको दिखाया जा सकता है। आप इन बातों का ध्यान रखें:
- सर्विस बुक या पासबुक माँगें
- पिछले बिल्स और इनवॉइस देखें
- अगर कार अधिकृत सर्विस सेंटर पर गई है, तो वहाँ के सील और सिग्नेचर चेक करें
इंडिविजुअल सेलर से रिकॉर्ड कैसे लें?
अगर आप सीधे मालिक से गाड़ी ले रहे हैं, तो उनसे भी सर्विस बुक और मेंटिनेंस बिल्स माँगें। अक्सर लोग घर पर ही छोटी-मोटी सर्विस कराते हैं, ऐसे में सारे पेपर नहीं मिलते। फिर भी, जितने हो सकें उतने डॉक्युमेंट्स जरूर देखें:
- कार की सर्विस बुक (यदि उपलब्ध हो)
- गैराज या लोकल मैकेनिक द्वारा दिया गया कोई भी बिल
- इंश्योरेंस क्लेम के डॉक्युमेंट्स (अगर कभी एक्सीडेंट हुआ हो)
अधिकृत सर्विस सेंटर से रिकॉर्ड प्राप्त करना
कई बार अधिकृत सर्विस सेंटर से भी आप कार का पूरा रिकॉर्ड ले सकते हैं। इसके लिए आपको नीचे दिए गए दस्तावेज़ों की जरूरत पड़ेगी:
ज़रूरी दस्तावेज़ | क्यों ज़रूरी है? |
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गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर (RC) | रिकॉर्ड निकालने के लिए मुख्य पहचान पत्र |
ओनरशिप प्रूफ या आईडी प्रूफ | यह साबित करने के लिए कि आप सही व्यक्ति हैं जो जानकारी माँग रहा है |
पिछला सर्विसिंग डेट/इनवॉइस नंबर (यदि हो) | रिकॉर्ड खोजने में मदद करता है |
कैसे संपर्क करें?
- सीधे सर्विस सेंटर जाएँ और रिक्वेस्ट फॉर्म भरें
- कई ब्रांड्स ऑनलाइन पोर्टल भी देते हैं जहाँ आप VIN नंबर डालकर इतिहास देख सकते हैं
- कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करके जानकारी माँगें
याद रखें:
सभी कारों का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता, खासकर 8-10 साल पुरानी कारों का। ऐसे में जितनी जानकारी मिले, उसी को आधार बनाकर फैसला लें। हमेशा डॉक्युमेंट्स की फोटो कॉपी अपने पास रखें ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।
3. रिकॉर्ड में किन बातों पर ध्यान दें
जब आप पुरानी कार खरीदने जा रहे हैं, तो उसका सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड अच्छी तरह से चेक करना बेहद जरूरी है। इससे आपको कार की असली हालत और उसकी देखभाल के बारे में सही जानकारी मिलेगी। आइए जानते हैं, सर्विस रिकॉर्ड में कौन-कौन सी जानकारियाँ जरूर देखनी चाहिए:
रेगुलर सर्विसिंग
यह देखें कि कार की सर्विसिंग समय-समय पर हुई है या नहीं। सर्विस बुक या बिल्स में हर सर्विस डेट, किलोमीटर और सर्विस डिटेल्स लिखी होनी चाहिए। अगर सर्विसिंग रेगुलर नहीं है, तो कार की कंडीशन खराब हो सकती है।
सर्विसिंग का रिकॉर्ड देखने का तरीका
जांच बिंदु | क्या देखें? |
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सर्विसिंग की तारीखें | हर 6-12 महीने/10,000 किमी पर सर्विस हो रही है या नहीं |
किलोमीटर रीडिंग | ओडोमीटर के साथ मैच करें |
सर्विस टाइप | नॉर्मल, मेजर या स्पेशल रिपेयर |
पार्ट्स रिप्लेसमेंट
कार के मुख्य पार्ट्स जैसे इंजन ऑयल, ब्रेक पैड्स, बैटरी, टायर्स आदि कब बदले गए हैं, इसका रिकॉर्ड जरूर देखें। पुराने या बार-बार रिप्लेस हुए पार्ट्स भविष्य में दिक्कत दे सकते हैं।
महत्वपूर्ण पार्ट्स का चेकलिस्ट
पार्ट का नाम | आखिरी बार बदला गया (महीना/साल) | स्थिति/कंडीशन नोट्स |
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इंजन ऑयल | देखें – हर 5-10 हजार किमी पर बदला गया या नहीं | |
ब्रेक पैड्स/डिस्क्स | ||
बैटरी | ||
टायर्स | ||
एसी सर्विसिंग |
एक्सीडेंट हिस्ट्री और क्लेम्स
सर्विस रिकॉर्ड से पता करें कि कहीं कार बड़े एक्सीडेंट में तो नहीं रही है। ऐसे केस में इंश्योरेंस क्लेम का भी जिक्र होना चाहिए। अगर बार-बार बॉडी वर्क या पेंटिंग हुई है, तो सतर्क रहें। ऐसी जानकारी छुपाने वाले डीलर्स से बचना चाहिए।
एक्सीडेंट/इंश्योरेंस क्लेम की जांच कैसे करें?
- रिकॉर्ड में रिपेयर वर्क या पेंट वर्क लिखा हो तो पूछें क्यों हुआ था?
- इंश्योरेंस क्लेम की डिटेल्स देखें – कितनी बार क्लेम हुआ?
- अगर संभव हो तो पिछले मालिक से भी पूछ लें।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी नोट करें:
- सर्विस सेंटर: अधिकतर सर्विसेज अधिकृत डीलरशिप से हुई हों तो अच्छा है। लोकल गैराज में काम ज्यादा हुआ हो तो सावधानी रखें।
- वॉरंटी: कुछ पार्ट्स पर अभी भी वॉरंटी बची हो सकती है – इसका लाभ उठाएं।
- Bills & Invoices: सभी मरम्मत और सर्विस के ओरिजिनल बिल/इनवॉइस देखें। फर्जी बिल से बचें।
इन सभी बातों को ध्यान से चेक करने पर ही आप एक अच्छी और भरोसेमंद पुरानी कार खरीद पाएंगे। इस तरह से पूरी जानकारी लेकर ही अगला कदम बढ़ाएँ।
4. फर्जी या अपूर्ण रिकॉर्ड की पहचान कैसे करें
जब आप पुरानी कार खरीदने जा रहे हैं, तो सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड की सही जांच करना बहुत जरूरी है। कई बार डीलर या मालिक रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर सकते हैं या फर्जी कागज़ात दिखा सकते हैं। यहाँ हम आपको बताएंगे कि कैसे रिकॉर्ड में गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा पकड़ा जा सकता है, और किन संकेतों से सावधान रहना चाहिए।
फर्जी या अपूर्ण रिकॉर्ड के सामान्य संकेत
संकेत | क्या देखें |
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असंगत तारीखें | एक ही दिन में कई सर्विस एंट्रीज, या सर्विस की तारीखें वाहन की उम्र से मेल न खाएं |
मैन्युअल एडिटिंग | रिकॉर्ड में पेन से बदलाव, काट-छांट या ओवरराइटिंग दिखे |
अनियमित स्टैम्प्स/सिग्नेचर | सभी पेज पर एक जैसी स्टैम्प या हस्ताक्षर न हों, स्टैम्प धुंधले या नकली लगें |
गायब जानकारी | कुछ सर्विस का विवरण अधूरा हो, जैसे कि क्या रिपेयर हुआ इसका उल्लेख न हो |
सर्विस सेंटर का नाम/पता अस्पष्ट होना | सर्विस सेंटर का नाम, पता या नंबर सही न लगे, गूगल पर सर्च करने पर जानकारी न मिले |
ओडोमीटर रीडिंग में अंतर | हर सर्विस के दौरान ओडोमीटर रीडिंग में असामान्य उछाल या गिरावट दिखे |
रिकॉर्ड की सत्यता की जांच कैसे करें?
- ऑथेंटिक बिल्स मांगें: हमेशा ओरिजिनल बिल और इनवॉइस देखें, फोटो कॉपी की जगह असली पेपर देखें।
- सर्विस सेंटर को कॉल करें: दिए गए सर्विस सेंटर पर कॉल करके पूछें कि क्या वाकई उस कार की सर्विस उनके यहां हुई थी।
- VIN नंबर से मिलान: हर सर्विस रिकॉर्ड में कार का VIN (वाहन पहचान संख्या) चेक करें, यह सभी कागजात में एक जैसा होना चाहिए।
- डिजिटल रिकॉर्ड चेक करें: आजकल कई ब्रांड अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर डिजिटल सर्विस हिस्ट्री उपलब्ध कराते हैं, वहां से भी सत्यापित करें।
- स्थानीय मैकेनिक से राय लें: किसी भरोसेमंद मैकेनिक को साथ लेकर जाएं ताकि वो कागजात और कार दोनों की स्थिति देखकर राय दे सके।
ध्यान रखें: छोटे-छोटे संकेत बड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर सकते हैं। सतर्क रहें और पूरी तसल्ली के बाद ही निर्णय लें। सही रिकॉर्ड से ही आपकी पुरानी कार की विश्वसनीयता तय होती है।
5. भारतीय परिप्रेक्ष्य में विशिष्ट ध्यान देने योग्य बिंदु
भारत में पुरानी कार खरीदते समय, सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड की जांच करना थोड़ा अलग होता है। यहां कई बार रिकॉर्ड्स मैन्युअली रखे जाते हैं या सर्विस हिस्ट्री पूरी तरह उपलब्ध नहीं होती। इस सेक्शन में हम भारत में आमतौर पर सामने आने वाली दिक्कतें, स्थानीय टर्म्स, और RTO अथवा इंश्योरेंस रिकॉर्ड्स से वेरिफाई करने के तरीके बताएँगे।
आम दिक्कतें जो भारत में देखने को मिलती हैं
- सर्विस बुक का गुम होना: कई बार पुराने मालिक के पास सर्विस बुक नहीं होती या अधूरी होती है।
- लोकल गैरेज में सर्विसिंग: अधिकतर कारें कंपनी के बजाय लोकल मैकेनिक से सर्विस करवाई जाती हैं, जिससे डिजिटल रिकॉर्ड नहीं मिलते।
- डुप्लीकेट इंश्योरेंस या आरटीओ पेपर्स: कभी-कभी दस्तावेज़ नकली या डुप्लीकेट हो सकते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
स्थानीय टर्म्स जिनका इस्तेमाल होता है
स्थानिक शब्द | अर्थ |
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RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) | कार के मालिकाना हक का कानूनी प्रमाण पत्र |
P.U.C. (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) | प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र |
No Claim Bonus (NCB) | इंश्योरेंस क्लेम न करने पर मिलने वाला डिस्काउंट |
NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) | पुराने मालिक द्वारा दी गई अनुमति, अक्सर राज्य बदलने पर जरूरी |
RTO और इंश्योरेंस रिकॉर्ड वेरिफाई करने के तरीके
- MParivahan ऐप या वेबसाइट: वाहन का नंबर डालकर आप RC, फिटनेस, टैक्स और बीमा की स्थिति देख सकते हैं।
- बीमा कंपनी से संपर्क: पॉलिसी नंबर देकर क्लेम हिस्ट्री पूछ सकते हैं।
- RTO विजिट: अगर ऑनलाइन जानकारी पूरी न मिले तो संबंधित RTO ऑफिस जाकर भौतिक सत्यापन किया जा सकता है।
- SERVICE CENTRE कॉल करें: यदि गाड़ी कंपनी सर्विस सेंटर से मेंटेन हुई है तो उसका रिकॉर्ड फोन पर VIN नंबर देकर पता किया जा सकता है।
चेकलिस्ट: डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन के लिए जरूरी बातें
डॉक्युमेंट का नाम | क्या चेक करें? |
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RC Book/Smart Card | नाम, इंजन और चेसिस नंबर सही हैं या नहीं? |
P.U.C. | वैलिडिटी डेट चेक करें। |
इंश्योरेंस पेपर | क्लेम हिस्ट्री और वैधता देखें। |
NOC (अगर दूसरी स्टेट की गाड़ी है) | NOC जारी करने की तारीख और आरटीओ का नाम देखें। |
सर्विस बुक/बिल्स (अगर उपलब्ध हों) | सर्विसिंग की तारीखें और किमी रीडिंग देखें। |
टिप:
हमेशा सभी डॉक्युमेंट्स की फोटोकॉपी अपने पास रखें और खरीदी से पहले असली डॉक्युमेंट्स को अच्छे से मिलान करें। जरूरत लगे तो किसी भरोसेमंद मैकेनिक या एक्सपर्ट से भी कार की कंडीशन चेक करवाएं।
6. विशेषज्ञ द्वारा वाहन की जांच करवाएँ
पुरानी कार खरीदते समय सिर्फ सर्विस और मेंटिनेंस रिकॉर्ड देखना ही काफी नहीं है। कभी-कभी डॉक्युमेंट्स में सब कुछ सही दिखता है, लेकिन कार में छुपी हुई समस्याएं हो सकती हैं, जो आम आदमी की नजर से छूट जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि किसी योग्य मैकेनिक या ऑटो एक्सपर्ट से गाड़ी की फिजिकल जांच जरूर करवाएं।
मैकेनिक से गाड़ी की जांच क्यों करानी चाहिए?
कारण | फायदा |
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छुपे हुए डिफेक्ट्स पकड़ना | इंजन, सस्पेंशन, ब्रेक आदि में कोई बड़ी दिक्कत जल्दी पकड़ी जा सकती है। |
सही कीमत तय करना | अगर कार में कोई समस्या निकले तो मोल-भाव करते वक्त आपके पास मजबूत वजह होगी। |
लंबे समय तक भरोसेमंद चलना | एक्सपर्ट की सलाह से आप जान पाएंगे कि कार कितनी अच्छी कंडीशन में है और आगे चलकर कितना खर्चा आ सकता है। |
मेंटिनेंस हिस्ट्री की पुष्टि करना | मैकेनिक चेक करेगा कि डॉक्युमेंट्स में जो लिखा है, क्या वास्तव में वैसा ही सर्विस व रिपेयर हुआ है या नहीं। |
गाड़ी की जांच कैसे करवाएं?
- किसी अनुभवी लोकल मैकेनिक को चुनें: अपने जान-पहचान के या आसपास के ट्रस्टेड गैरेज वाले को साथ लें।
- ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर पर भी करा सकते हैं: अगर कार किसी खास ब्रांड की है तो उस ब्रांड के सर्विस सेंटर पर इंस्पेक्शन करवाना बेहतर रहेगा।
- जांच के मुख्य बिंदु:
- इंजन और ट्रांसमिशन का कंडीशन देखें।
- ब्रेकिंग सिस्टम, क्लच, सस्पेंशन टेस्ट करें।
- बॉडी में जंग, डेंट या दोबारा पेंटिंग के निशान जांचें।
- इलेक्ट्रिकल्स (हेडलाइट, इंडिकेटर, एसी आदि) ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं देखें।
- ओडोमीटर टैम्परिंग (किलोमीटर घटी-बढ़ी तो नहीं) चेक करें।
- टायरों की हालत और स्पेयर टायर भी जरूर देखें।
- सर्विस रिकॉर्ड के हिसाब से पार्ट्स बदले गए हैं या नहीं कन्फर्म करें।
- रिपोर्ट लिखवाएं: मैकेनिक से पूरी रिपोर्ट बनवाएं ताकि भविष्य में आपको कोई परेशानी न हो।
इंडियन मार्केट में क्यों जरूरी है एक्सपर्ट चेक?
भारत में सेकंड हैंड गाड़ियों का बाजार बहुत बड़ा है और यहां कई बार गाड़ियों की असली हालत छुपाई जाती है। ऐसे में एक भरोसेमंद मैकेनिक या ऑटो एक्सपर्ट आपकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे आपको न सिर्फ सही जानकारी मिलती है बल्कि बाद में आने वाले अनचाहे खर्चों से भी बचाव होता है।